परमेश्वर कबीर साहिब जी चारों युगों में नामांतर करके शिशु रूप में प्रकट होते हैं।

                 कबीर  परमात्मा चारों युगों में आते हैं



 परमेश्वर कबीर जी स्वयं सत्यपुरूष हैं।


सत्यज्ञान सत्यभक्ति परमेश्वर स्वयं ही प्रकट होकर बताते हैं।

 सत्यपुरूष कबीर जी प्रत्येक युग में भिन्न नामों से प्रकट होते
हैं।
👉सत्ययुग में ‘‘सत्य सुकृत‘‘ नाम से,
👉त्रोतायुग में ‘‘मुनीन्द्र‘‘ नाम से,
👉 द्वापर युग में‘‘करूणामय नाम से‘‘,
 👉कलयुग में ‘‘कबीर नाम से‘‘ संसार में प्रकट होकर यथार्थ
अध्यात्मिक ज्ञान तथा सत्य साधना मंत्रों का ज्ञान कराते हैं। कुछ भक्त परमेश्वर के ज्ञान
को सुन-समझकर सत्य साधना करने लगते हैं, परंतु अज्ञानी संत तथा गुरू उनको भ्रमित
कर सत्य साधना छुड़ाकर काल साधना पर पुनः दृढ़ कर देते हैं।

कबीर परमात्मा चारों युगों में आते हैं

यजुर्वेद के अध्याय नं. 29 के श्लोक नं. 25 (संत रामपाल जी महाराज द्वारा भाषा-भाष्य):-
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होता है उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कबीर प्रभु ही आता है।

कबीर परमात्मा हर युग में आते हैं
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर प्रभु) ही है।

कबीर परमात्मा ही सृष्टि के रचयिता हैं
संख्या नंबर 920, सामवेद के उतार्चिक अध्याय 5, खंड 4, श्लोक 2
सर्व सृष्टि रचनहार, अविनाशी परमात्मा भक्त के पाप कर्मों को नष्ट करके पवित्र करने वाला स्वयं कबीर देव है।




आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30

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